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Indi - eBook Edition
Fakir

Fakir

Language: HINDI
Sold by: Ravi Punia

Book Details

फ़कीर ------------------------------------------ धुआं सा लग गया है हर सांस को जैसे यूँ ही खिंचा खिंचा सा पूरा शरीर रहता है हर कदम रुकूँ मैं , सोचूं मैं ,जाना है कहाँ आजकल मेरे अंदर एक हकीर रहता है आज तू नहीं , तेरा साथ नहीं ,सौगात नहीं सड़कों पे सना धुल में एक फ़कीर रहता है शायद के बरसात हो वीराने बंजर दिल पे इसी चाह में भटकता कोई राहगीर रहता है दहलीज पर ना जाने कब हुस्न दस्तक दे इसी ताक़ में खड़ा पूरा दिन वजीर रहता है बहुत पुराना साथी बहुत दूर चला गया है नयनों में अब जरा जरा सा नीर रहता है ठोकरें बहुत लगी मगर गिरते गिरते बचा हूँ मेरे साथ हर वक़्त मेरा पीर रहता है इश्क़ ने इस सहर में तबाही मचा रखी है हर गली हर कूचे पर एक कबीर रहता है...